संतान की दीर्घायु के लिए माताएं रखीं हलषष्ठी व्रत

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पंडित आनंद दुवे ने मंत्रोच्चारण के साथ पूजन करवाया
बलराम राजपूत न्यूज डिण्डौरी
यह व्रत संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता हैं हल षष्ठी, जिसे ललही षष्ठ या हर छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह श्रीकृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है। यह हर साल भाद्रपद माह के पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। डिण्डौरी जिले के विकास खण्ड के ग्राम ढोंढ़ा मे भी 14 अगस्त 2025 को मनाई गई ।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हलषष्ठी का पर्व भगवान बलराम के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, आपको बता दें कि छठ और हरछठ अलग-अलग है । छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष छठवीं तिथि को मनाया जाता है, इस दिन छठी माता और सूर्य की पूजा की जाती है। वहीं हरछठ भाद्रपद मास की छठी तिथि को मनाया जाता है।
खासकर तालाब में उगी चीजें खा सकते हैं। इस दिन व्रती महिलाएं महुआ पेड़ की डाली का दातून, स्नान कर व्रत रखती है। इस पूजन की सामग्री में बिना हल जुते हुए जमीन से उगी हुई धान का चावल, महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस के दूध-दही व घी आदि रखते है। इसके अलावा इस दिन गाय के दूध-दही व घी का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए।
इस दिन महिलाएं सुबह गौरी गणेश के साथ कुश की पूजा करती है माताएं बेटे की सलामती की भगवान से कामना करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। दोपहर के समय सभी महिलाएं पूजा की थाली लेकर एक जगह जाती हैं और इस व्रत की कथा पढती है हरछठ महारानी की ग्वालिन वाली कहानी पढ़ी जाती है।
इस पूजन कार्यक्रम में गुरुजी आनंद दुवे जी ने मंत्रोच्चारण के साथ पूजन करवाया। व्रत महिलाएं लीला बाई,सुनैना, शशि बाई,प्रियंका अंजू आदि लोगों ने पूजन अर्चन किया।
14 अगस्त 2025

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